Hindi Love Story - "पहाड़ों की वो आखिरी शाम"

"पहाड़ों की वो आखिरी शाम"

भाग 1: मुलाकात जो किस्मत ने लिखी थी

मनाली की उन ठंडी वादियों में जब सूरज की आखिरी किरणें पहाड़ों पर उतर रही थीं, तब आरव अपनी गाड़ी से उतरकर होटल की तरफ बढ़ रहा था। दिल्ली की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से कुछ दिन दूर रहने के लिए उसने इस जगह को चुना था। वो बस कुछ दिनों की शांति चाहता था, अपने विचारों को सुलझाने और खुद को फिर से खोजने के लिए।

होटल में चेक-इन करने के बाद, उसने ठंडी हवा में सांस ली और पास की चाय की दुकान पर चला गया। वहीं उसकी मुलाकात हुई काव्या से। वो एक स्केचबुक में कुछ बना रही थी, शायद पहाड़ों का कोई खूबसूरत नज़ारा। आरव ने चाय का ऑर्डर दिया और अनजाने में उसकी ओर देखने लगा। काव्या ने उसे देखा और हल्की मुस्कान दी।

"क्या आप भी आर्टिस्ट हैं?" काव्या ने अचानक पूछा।

आरव थोड़ा चौंका, फिर मुस्कुराकर बोला, "नहीं, मैं तो बस एक आम आदमी हूँ, जो भागती हुई ज़िंदगी से कुछ पल चुराने यहाँ आया हूँ।"

"अच्छा! मैं काव्या हूँ, यहाँ की लोकल आर्टिस्ट।"

दोनों के बीच बातें होने लगीं। पहाड़ों का मौसम भी अजीब होता है, कभी तेज़ ठंडी हवा, कभी हल्की धूप, और कभी-कभी किसी अजनबी से मुलाकात, जो ज़िंदगी में एक नया मोड़ ला सकती है।

भाग 2: अनकहे एहसास

अगले कुछ दिनों में आरव और काव्या की दोस्ती गहरी हो गई। आरव ने महसूस किया कि काव्या में कुछ अलग था—वो हर छोटी चीज़ को खास तरीके से देखती थी। बारिश की बूंदों में नज़्म ढूंढती, बर्फीली हवा में कहानियाँ बुनती और हर शाम स्केचबुक में कुछ नया उकेरती।

एक शाम, जब दोनों झील के किनारे बैठे थे, आरव ने पूछा, "तुम यहाँ अकेली रहती हो?"

काव्या ने गहरी सांस ली और कहा, "हाँ, कुछ साल पहले मैं अपने परिवार के साथ यहाँ आई थी, लेकिन अब मैं अकेली हूँ।"

आरव ने और सवाल नहीं किए। वो उसकी आँखों में एक अधूरी कहानी देख सकता था, जिसे बताने के लिए शायद अभी वक्त सही नहीं था।

भाग 3: बीते कल की परछाइयाँ

एक दिन, जब आरव ने काव्या को स्केच करते हुए देखा, तो उसने मज़ाक में कहा, "कभी मेरा भी स्केच बनाओगी?"

काव्या ने मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा, "शायद… जब मुझे लगे कि तुम्हें हमेशा के लिए याद रखना चाहिए।"

उसकी इस बात ने आरव को अजीब एहसास से भर दिया। उसने पहली बार महसूस किया कि वो इस लड़की से कितना जुड़ चुका था।

पर तभी उसे काव्या की ज़िंदगी की सच्चाई पता चली। गाँव के एक बुज़ुर्ग ने उसे बताया कि कुछ साल पहले काव्या की शादी तय हुई थी। वो अपने मंगेतर से बेइंतहा मोहब्बत करती थी, लेकिन शादी से एक हफ्ते पहले ही उसका मंगेतर एक हादसे में गुजर गया। तब से काव्या ने खुद को अकेलेपन में समेट लिया।

आरव यह सुनकर अजीब सी उलझन में था। क्या वो काव्या को सिर्फ एक दोस्त की तरह पसंद करता था, या फिर उसके दिल में उससे भी गहरे जज़्बात थे?

भाग 4: मोहब्बत का इम्तिहान

आरव का मन अब बेचैन रहने लगा। वो जानता था कि काव्या अब भी अपने अतीत से बंधी हुई थी, लेकिन उसके साथ बिताए हर पल में आरव ने खुद को खो दिया था।

एक रात, जब मनाली में भारी बर्फबारी हो रही थी, आरव और काव्या एक पहाड़ी पर बैठे चाय पी रहे थे। ठंडी हवा के बीच अचानक आरव ने कहा, "काव्या, क्या तुम्हें कभी लगा कि किसी से फिर से प्यार किया जा सकता है?"

काव्या चुप रही, फिर धीरे से कहा, "शायद… लेकिन मैं अब भी अतीत में फंसी हूँ, आरव। मुझे नहीं पता कि मैं फिर से किसी से जुड़ सकती हूँ या नहीं।"

आरव ने उसकी आँखों में देखा और कहा, "अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो वो वक्त के साथ अतीत की परछाइयों को मिटा सकती है। मैं इंतज़ार करूँगा, जब तक तुम तैयार न हो जाओ।"

भाग 5: पहाड़ों की वो आखिरी शाम

आरव की वापसी का दिन आ गया था। वो स्टेशन पर खड़ा था, ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहा था। तभी काव्या भागती हुई आई, उसके हाथ में एक स्केचबुक थी।

"ये तुम्हारे लिए," काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

आरव ने किताब खोली, उसमें उसका स्केच था—बिल्कुल वैसा जैसा वो था, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी।

"तुमने कहा था, जब मुझे लगे कि तुम्हें हमेशा के लिए याद रखना चाहिए, तब तुम्हारा स्केच बनाऊँगी।"

आरव की आँखों में हल्की नमी थी। उसने किताब को सीने से लगाया और कहा, "तो क्या अब तुम अतीत को पीछे छोड़ने के लिए तैयार हो?"

काव्या ने उसकी ओर देखा, फिर धीरे से कहा, "शायद… हाँ।"

ट्रेन की सीटी बज रही थी, लेकिन इस बार आरव जाना नहीं चाहता था। उसने काव्या का हाथ थामा और कहा, "अगर तुम कहो, तो मैं रुक सकता हूँ।"

काव्या ने हल्के से सिर हिला दिया और कहा, "रुको।"

और इसी के साथ, मनाली की उन ठंडी वादियों में एक नई कहानी ने जन्म लिया—मोहब्बत की, दूसरी बार प्यार करने की, और खुद को फिर से जीने की।


"पहाड़ों की वो आखिरी शाम"—एक कहानी जो बताती है कि मोहब्बत कभी खत्म नहीं होती, वो सिर्फ वक्त का इंतज़ार करती है। ❤️

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