Hindi Love Story - "बेवजह मोहब्बत"

"बेवजह मोहब्बत"

सर्दियों की हल्की धूप में शिमला की पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा सा कस्बा, जहां जिंदगी अपनी ही धीमी रफ्तार से चलती थी। इसी कस्बे में रहने वाली थी स्नेहा, एक खुशमिजाज और जिंदादिल लड़की, जिसे किताबों से बेइंतहा मोहब्बत थी। वो अक्सर लाइब्रेरी के उस पुराने कोने में बैठती, जहां खिड़की से पहाड़ों का सुंदर नज़ारा दिखता था।

राहुल, जो शहर से कुछ दिनों के लिए अपने दादा-दादी के पास आया था, उसी लाइब्रेरी में पहली बार स्नेहा से मिला। वो किताबों के बीच खोई हुई थी और उसे शायद राहुल की मौजूदगी का एहसास भी नहीं था। लेकिन राहुल की नजरें बार-बार उसी की तरफ उठ जातीं।

एक दिन, जब राहुल ने हिम्मत कर स्नेहा से बात करने की कोशिश की, तो उसने बस मुस्कुराकर किताब में सिर झुका लिया। वो चुपचाप चली गई, लेकिन उसकी मुस्कान राहुल के दिल में कहीं गहरी छाप छोड़ गई।

आने वाले दिनों में दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं। किताबों से शुरू हुई उनकी बातें धीरे-धीरे ज़िंदगी के हर पहलू को छूने लगीं। राहुल को स्नेहा की दुनिया बेहद खूबसूरत लगने लगी, और स्नेहा को राहुल की सादगी में एक सुकून मिलने लगा।

पर राहुल को जाना था। वो यहां सिर्फ कुछ दिनों के लिए आया था। आखिरी दिन जब वो स्टेशन पर खड़ा था, स्नेहा आई, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। बस एक किताब राहुल की तरफ बढ़ा दी, जिसका नाम था "बेवजह मोहब्बत"

राहुल ने किताब खोली, पहले पन्ने पर लिखा था—
"कुछ रिश्ते किसी अंजाम के लिए नहीं बने होते, बस दिल के किसी कोने में हमेशा जिंदा रहने के लिए होते हैं।"

ट्रेन चल पड़ी, और राहुल की आंखों में सिर्फ एक ही तस्वीर थी— स्नेहा की, उसकी मुस्कान की, उसकी बेवजह मोहब्बत की।

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